tag:blogger.com,1999:blog-119828079329442579.post7291099978929907669..comments2023-05-14T07:34:18.107-07:00Comments on gopal jha ki kalam se: dristhi-pathhttp://www.blogger.com/profile/06344874779543646114noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-119828079329442579.post-57909809219911428662010-03-22T06:36:28.958-07:002010-03-22T06:36:28.958-07:00क्या बात है...क्या खूब कही है गोपाल जी आपने.... कि...क्या बात है...क्या खूब कही है गोपाल जी आपने.... कि .मैं तो जीना चाहता हूँ , मरने के बाद भी...सही भी है ..जो मर कर जिए ...जीना उसी का नाम है...अति बुरी चीज है ये मणि अच्छी तरह जानता हूँ...फिर भी मैं बोलता बहुत हूँ....आजकल लोग बिना बोले अपना समय कैसे काट लेते हैं...मुझे तो चुप रहने को कह दिया जाए तो यूं लगता है...मानो सबसे बड़ी सजा देदी है. ...मेरी एक बाल कविता का अंश मुझे याद आ रहा है.....कि पापा पेड़ नहीं चलते हैं...ना ही करते कोई बात / कैसे कट जाते हैं पापा / इनके दिन और इनकी रात......लोग पूरी ज़िन्दगी काट देते हैं...चुपचाप..गुमसुम...और खामोश...गोपाल जी, आपने ब्लॉग बनवा कर बहुत ही बढ़िया काम किया है.. यूं लगता हैं मानो... हम बात कर रहे हैं...आपसे प्रत्युत्तर की अपेक्षा भी है.. इस से पहले मैंने आपके ब्लॉग पर बात की थी..और आप मौन....नहीं ये नहीं चलेगा...बात नहीं करोगे यानी जवाब नहीं दोगे तो एक तरफा बात मैं कब तक कर पाऊँगा...समझ गये ना मेरी भावना...! ठीक है...फिर मिलते हैं...बाय.... <br />Time : 7:04 PM, http://tabartoli.blogspot.comदीनदयाल शर्माhttps://www.blogger.com/profile/07486685825249552436noreply@blogger.com